"  साझीदार  "

हमने साझीदार कविता का अंगिका में रूपांतरण करने की कोशिश की है, हिंदी और अंगिका दोनो भाषाओं का संस्करण है पहले आप हिंदी में साझीदार कविता पढ़ेंगे उसके बाद मेरे द्वारा इस कविता को अंगिका भाषा में किया गया रूपांतरण भी पढ़िए गा।

          साझीदार   " हिंदी संस्करण "

हम एक प्याली चाय को 
                आधी–आधी बांटते थे
काम पैसे वाले दिनों में 
                 संग–संग भटकते थे पांव–पैदल 
एक ही रूमाल से पोंछते थे 
                माथे पर छलक आया पसीना 
एक हांफता हुआ जीर्ण सा बटुआ था,
      उसी से झेलते रहे बाजार के सब जुल्म–ओ–सितम
एक जैसी ही थी हमारे जय–पराजय
          हमारे ईष्ट–देवता भी एक ही थे
पता ही नही चला
       कब उसने अपने वास्ते
  एक मुक्कमल दुनिया बसा ली
 और 
    मैं तलाश करता रह गया ।             
 
           साझिदार   "अंगिका संस्करण"    

"हम्मै ऐगो कुलहर चाय केय
             आधा–आधा बाटै रहियै,
 जैहिया रूपा कम रहै 
                       संगे–संगे बौखैत रहिये र्गोरे–बुलैत
 ऐक्कैगो चिथड़ा से पोछै रहियै
                      माथा पर आयल घाम
 एगो थक्कल पुरनका फट्टल–चिट्टल बटुआ रहै
               ओकरे में सहैत रहिये हाट के बहरल भाव
 एक्के रंग रहै हम्मर जितनाय–हरनाय
                    हम्मर देवतो एक्के राहै
 नै जनलीये हम्मे कहिया ऊ अप्पनलय 
                    चिक्कन दुनिया बसाय ललके,
                      ‘और’     हम्में हेरते रैह गेलिये" 
 कविता के लेखक का नाम अगर जानते है तो कमेंट में जरूर बताएगा।
                         "ठीक छै"