बढ़ते जमाने के साथ आज कल हरेक चीजों में केमिकल का उपयोग बहुत मात्रा में होने लगा है।
जैसे " ऑलिव ऑयल में " हेयर ऑयल में " डेजर्ट में "
              फलों को ताजा रखने के लिए केमिकल का उपयोग करते हुए
ऐसी बहुत सारी खाने के चीजों में केमिकल का उपयोग हो रहा है, जिसके उपयोग से हमारे बीच नई–नई बीमारियां उत्पन्न होती है।
मार्केट में अधिकांश चीजे केमिकल से मिलकर बनी होती है, होली में उपयोग किए जाने वाले रंग में भी बहुत मात्रा में केमिकल का उपयोग होता है जिसका उपयोग करने पर हमारे त्वचा पर इसका बहुत बुरा असर होता है। जैसे " त्वचा में जलन महसूस होना " चेहरे पर पीपल्स निकल आना " चर चराहट महसूस होना और बहुत सी प्रोब्लम हो जाती है।

इसलिए अबकी बार होली प्राकृतिक रंगों के साथ खेले जिससे हम होली का आनंद भी लेंगे और हमारी त्वचा स्वास्थ्य, सुंदर और सुरक्षित रहेगी।

 इसलिए हमने कुछ प्राकृतिक घटकों और उससे बनने वाले प्राकृतिक रंगों को सूची बनाई जिससे आप घरों में प्राकृतिक रंग बना कर स्वास्थ्यमय होली का आनंद ले सके।

#गुलाबी रंग 
:— नील के फल को पिस कर सूखे लाल चंदन में मिला कर आप गुलाबी रंग बना सकते है 
#लाल रंग 
:— सूखे लाल चंदन और आटा को मिला कर लाल रंग बना सकते है।
#हरा रंग
:— मेंहदी के पाउडर और आटा को मिलाकर आप सुखा हरा रंग बना सकते है। आप गुलमोहर के पेड़ के सूखे पत्ते का भी इस्तेमाल कर सकते है।
#पीला रंग
:— हल्दी और बेसन को मिलाकर आप पीला रंग बना सकते है ,जितना मात्रा में हल्दी लेंगे उससे दुगुना मात्रा में बेसन मिला लें।
#काला रंग
:— हल्दी , मेंहदी पाउडर और सूखे लाल चंदन को बराबर मात्रा में मिलाकर आप काला रंग बना सकते है।